चना की फसल में अधिक पैदावार के 5 बेहतरीन टिप्स

चना भारतीय कृषि में एक महत्वपूर्ण फसल है, जो पोषण से भरपूर होती है और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में मदद करती है। हालांकि, बदलते मौसम और फसल रोगों के कारण उत्पादन प्रभावित हो सकता है। यहां आपके चने की फसल से अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए 5 महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं।
1. सही किस्मों का चयन
उच्च उपज और रोग प्रतिरोधी किस्में, जैसे पूसा चना विजय (बीजीएम 10217) या अद्विका (एनसी 7), उत्पादन बढ़ाने में सहायक होती हैं। क्षेत्र की मिट्टी और जलवायु के अनुसार किस्मों का चयन करें।
2. बीज उपचार और बुवाई की तकनीक
बीज उपचार में राइजोबियम और पीएसबी का उपयोग करें। कार्बेन्डाजिम और थिरम से बीजों का उपचार फसल रोगों से सुरक्षा देता है। बुवाई का समय नमी और बारिश की उपलब्धता के आधार पर तय करें। खरीफ सीजन में पंक्तियों के बीच की दूरी 30-35 सेमी रखें।
3. मिट्टी की तैयारी और उर्वरक प्रबंधन
चना की फसल के लिए 6.5-7.8 पीएच वाली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त है। मृदा परीक्षण के अनुसार उर्वरक का उपयोग करें। जिंक, बोरॉन और मोलिब्डेनम जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व फसल वृद्धि में सहायक होते हैं।
4. खरपतवार प्रबंधन
खरपतवारों को समय पर नियंत्रित करना आवश्यक है। निराई-गुड़ाई या रासायनिक खरपतवारनाशक, जैसे पेंडीमेथालिन का उपयोग, फसल को पोषक तत्वों और नमी की कमी से बचाता है।
5. सिंचाई और रोग नियंत्रण
फूल और फली विकास के समय सिंचाई सुनिश्चित करें। फली छेदक और सफेद मक्खी जैसे कीटों से बचाव के लिए उचित कीटनाशक का उपयोग करें। पौधों को पीला मोजेक वायरस और अन्य रोगों से बचाने के लिए प्रतिरोधी किस्में लगाएं।
कटाई और भंडारण
70-80% फलियों के पकने पर कटाई करें। बीजों को अच्छी तरह सुखाकर भंडारण करें, ताकि उनकी नमी 8-10% रहे।
इन सुझावों को अपनाकर आप अपनी चना की फसल की पैदावार को बेहतर बना सकते हैं और अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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