गेहूं में बम्पर पैदावार लेने की A टू Z जानकारी | फटाफट देखें
भारत में गेहूं की खेती एक महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि है। अगर आप भी गेहूं में बम्पर पैदावार लेना चाहते हैं, तो आपको खेती के हर पहलू पर ध्यान देना होगा। इस लेख में हम आपको गेहूं की खेती से जुड़ी A टू Z जानकारी देंगे, ताकि आप अपनी फसल को अधिक उपजाऊ बना सकें।
1. मिट्टी की जांच और तैयारी (Soil Testing and Preparation)
बम्पर पैदावार के लिए सही मिट्टी का चयन बेहद जरूरी है। गेहूं के लिए दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।
- मिट्टी की जांच करें: फसल लगाने से पहले मिट्टी की पीएच (pH) वैल्यू 6.5 से 7.5 के बीच होनी चाहिए।
- उर्वरक का उपयोग करें: गोबर की खाद और नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम युक्त उर्वरकों का सही मात्रा में उपयोग करें।
2. बीज का चयन और उपचार (Seed Selection and Treatment)
उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन बम्पर पैदावार का पहला कदम है।
- बीज की किस्में: एचडी 2967, एचडी 3086, डब्ल्यूएच 1105 जैसी उन्नत किस्में चुनें।
- बीज उपचार: बीज को फंगसरोधी (Fungicide) और कीटनाशक से उपचारित करें।
3. बुआई का सही समय और तरीका (Sowing Time and Method)
- सही समय: अक्टूबर के मध्य से नवंबर के मध्य तक बुआई करें।
- तरीका: लाइन से लाइन की दूरी 20-22 सेमी और पौधों के बीच 5-6 सेमी रखें।
4. सिंचाई और जल प्रबंधन (Irrigation and Water Management)
- सिंचाई का समय: पहली सिंचाई बुआई के 20-25 दिन बाद करें। इसके बाद सिंचाई का अंतराल फसल की जरूरत के अनुसार तय करें।
- अत्यधिक पानी से बचाव: जलभराव से फसल को नुकसान हो सकता है।
5. कीट और रोग प्रबंधन (Pest and Disease Management)
- आम कीट: गांधारी इल्ली, दीमक और एफिड्स।
- रोग: पत्तों का झुलसा, करनाल बंट।
- उपचार: जैविक कीटनाशकों और फफूंदनाशकों का उपयोग करें।
6. उर्वरक और पोषण प्रबंधन (Fertilizer and Nutrition Management)
- उर्वरकों का संतुलित उपयोग: नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम की सही मात्रा दें।
- फसल वृद्धि बढ़ाने के लिए: जिंक और सल्फर का भी इस्तेमाल करें।
7. कटाई और भंडारण (Harvesting and Storage)
- कटाई का समय: जब फसल सुनहरे पीले रंग की हो जाए, तो कटाई करें।
- भंडारण: सूखी और हवादार जगह पर भंडारण करें।
गेहूं में बम्पर पैदावार लेने के लिए हर चरण पर ध्यान देना जरूरी है। सही तकनीक, उच्च गुणवत्ता वाले बीज और अच्छे प्रबंधन से आप अपनी फसल को लाभकारी बना सकते हैं।
NOTE— :- रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।