अरुगुला की खेती: जो बिकती हे अच्छे दाम में और कर देगी मालामाल

अरुगुला की खेती: जो बिकती हे अच्छे दाम में और कर देगी मालामाल

अरुगुला की खेती

इस लेख में आपको एक ऐसी हरी पत्तेदार सब्जी की खेती की जानकारी देने जा रहे हैं, जिसकी खेती भारत में अभी बहुत कम किसान कर रहे हैं। लेकिन अब धीरे-धीरे किसान इसकी खेती के बारे में जागरूक हो रहे हैं। आपको बता दें कि यह ₹700 प्रति किलो बिकती है। तो चलिए आपको इस सब्जी के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं, इसकी खेती कैसे करें, बाजार में इसकी कीमत कितनी मिलती है और किसान इससे अच्छी कमाई कैसे कर सकते हैं।


₹700 किलो बिकने वाली सब्जी

आज के समय में किसान पारंपरिक खेती के साथ-साथ विदेशी सब्जियों की खेती कर अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। इनमें एक खास सब्जी है, जो तेजी से लोकप्रिय हो रही है और बाजार में अच्छी कीमत पर बिक रही है। यह सब्जी आसानी से तैयार हो जाती है और किसानों को अधिक लाभ देती है।

मध्य प्रदेश के भोपाल और उसके आसपास के किसान अब रॉकेट (अरुगुला) की खेती कर रहे हैं। यह एक हरी पत्तेदार सब्जी है, जिसकी खेती करना किसानों के लिए आसान है। भोपाल में ही यह ₹700 प्रति किलो बिक रही है, जिसे वहां के किसानों ने खुद बताया है।

बिक्री और कमाई

किसान बताते हैं कि 100 ग्राम का एक पैकेट वे डिब्बे में पैक करके ₹70 में बेचते हैं। उनकी रोजाना 1.5 से 2 किलो तक की बिक्री हो जाती है। इस सब्जी का प्रयोग सलाद में अधिक किया जाता है, जिससे इसकी मांग लगातार बढ़ रही है।

अरुगुला की खेती

अरुगुला, जिसे रॉकेट या एरुका के नाम से भी जाना जाता है, एक विदेशी हरी पत्तेदार सब्जी है। अगर आप इसकी खेती करना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए बिंदुओं के अनुसार पूरी प्रक्रिया समझ सकते हैं।

कैसे करें अरुगुला की खेती?

  • नर्सरी तैयार करें – अरुगुला की खेती के लिए पहले ट्रे में बीजों को उगाना बेहतर होता है।
  • उपयुक्त मिट्टी – इसकी खेती के लिए ढीली, उपजाऊ और दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है।
  • मिट्टी का pH स्तर – आदर्श pH 6 से 7 के बीच होना चाहिए।
  • जल निकासी – खेत में पानी का ठहराव न हो, इसके लिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी जरूरी है।
  • खाद और उर्वरक – जैविक खेती अपनाकर गोबर खाद, वर्मीकंपोस्ट और जैविक उर्वरक का उपयोग करें।
  • मौसम – ठंडा मौसम अरुगुला की खेती के लिए सबसे अनुकूल होता है।
  • बिक्री और उपयोग – अरुगुला के पत्तों की बिक्री की जाती है, ठीक वैसे ही जैसे पालक बाजार में बेचा जाता है।

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