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ब्रोकली की खेती: कम समय में अधिक मुनाफा पाने का शानदार तरीका

ब्रोकली की खेती: कम समय में अधिक मुनाफा पाने का शानदार तरीका

ब्रोकली क्या है?

ब्रोकली (Broccoli) एक हरी सब्जी है जो फूलगोभी और पत्ता गोभी के परिवार से संबंधित है। इसे पोषण का पावरहाउस कहा जाता है क्योंकि इसमें विटामिन C, विटामिन K, फाइबर, और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। ब्रोकली मुख्य रूप से सलाद, सूप और अन्य व्यंजनों में उपयोग की जाती है। यह स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है और इसकी मांग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तेजी से बढ़ रही है।


ब्रोकली की खेती क्यों करें?

  1. उच्च मांग: ब्रोकली की मांग शहरी और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में लगातार बढ़ रही है। यह सुपरफूड के रूप में प्रसिद्ध हो चुकी है।
  2. लाभकारी फसल: यह फसल कम समय में अधिक मुनाफा देती है।
  3. निर्यात की संभावना: अच्छी गुणवत्ता की ब्रोकली को निर्यात किया जा सकता है।
  4. स्वास्थ्य लाभ: यह स्वास्थ्य के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रिय है।

ब्रोकली की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

ब्रोकली की खेती के लिए ठंडी जलवायु उपयुक्त मानी जाती है। इसका सबसे अच्छा विकास 18–25 ℃ तापमान के बीच होता है।


मिट्टी का चयन

ब्रोकली की खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी (loamy soil) सबसे उपयुक्त है।

  1. मिट्टी का pH: 6.0 से 7.5 के बीच।
  2. जल निकासी: अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी होनी चाहिए।
  3. जैविक सामग्री: मिट्टी में पर्याप्त जैविक खाद होनी चाहिए।

भूमि की तैयारी

  1. गहरी जुताई: भूमि की 2-3 बार गहरी जुताई करें।
  2. खाद का उपयोग: प्रति एकड़ 10-15 टन गोबर की खाद या जैविक खाद डालें।
  3. बेड तैयार करना: बीज बोने के लिए उठी हुई बेड (raised beds) तैयार करें।

बीज चयन और बुवाई

  1. उन्नत किस्में:
    • पुसा ब्रोकली-1
    • कैलाब्रेस
    • ग्रीन मैजिक
    • डेस्टिनी
  2. बीज उपचार: बीजों को फफूंदनाशक से उपचारित करें।
  3. बुवाई का समय:
    • उत्तर भारत: अक्टूबर-नवंबर
    • दक्षिण भारत: सितंबर-मार्च
  4. बीज दर: प्रति एकड़ 300-400 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
  5. बुवाई की गहराई: बीज को 1-2 सेमी गहराई पर बोएं।

सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन

  1. सिंचाई:
    • पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करें।
    • बाद में 7-10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
  2. उर्वरक:
    • नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का संतुलित उपयोग करें।
    • नाइट्रोजन को तीन भागों में विभाजित कर बुवाई के 30, 45 और 60 दिनों बाद डालें।

फसल प्रबंधन

  1. निराई-गुड़ाई:
    • खेत में खरपतवार न होने दें।
    • 2-3 बार निराई-गुड़ाई करें।
  2. पौधों का अंतर:
    • पौधों के बीच 45 सेमी और कतारों के बीच 60 सेमी की दूरी रखें।
  3. कीट और रोग प्रबंधन:
    • हीरा कीट: क्लोरोपायरीफॉस का छिड़काव करें।
    • डाउनी मिल्ड्यू: रोगनाशक फफूंदनाशक का प्रयोग करें।

फसल कटाई

  1. कटाई का समय:
    • बुवाई के 70-100 दिनों के भीतर ब्रोकली तैयार हो जाती है।
  2. फूल का रंग: जब ब्रोकली का फूल हरा हो और कली बंद हो, तभी कटाई करें।
  3. पैदावार: एक एकड़ में 60-80 क्विंटल तक उत्पादन होता है।

भंडारण और विपणन

  1. भंडारण:
    • ब्रोकली को 0–4 ℃ पर 1-2 हफ्ते तक स्टोर किया जा सकता है।
  2. पैकिंग:
    • पैकिंग करते समय ब्रोकली को पॉलीथीन में पैक करें।
  3. बाजार:
    • नजदीकी मंडी, सुपरमार्केट, या निर्यात के माध्यम से ब्रोकली बेची जा सकती है।

ब्रोकली की खेती के फायदे

  1. लाभकारी आय: कम समय में अधिक मुनाफा।
  2. स्वास्थ्य लाभ: इसमें उच्च पोषण मूल्य है।
  3. कम लागत: खेती की लागत तुलनात्मक रूप से कम है।
  4. पर्यावरण के अनुकूल: यह मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में मदद करती है।

निष्कर्ष

ब्रोकली की खेती एक लाभकारी कृषि व्यवसाय है। उचित तकनीक, देखभाल और विपणन रणनीति अपनाकर किसान इससे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। यदि आप किसान हैं और नई फसल की खेती के बारे में सोच रहे हैं, तो ब्रोकली की खेती आपके लिए एक बेहतर विकल्प हो सकती है।

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