चंदन की खेती: 5 Essential Tips for Success

चंदन की खेती: 5 Essential Tips for Success

चंदन की खेती: सम्पूर्ण मार्गदर्शिका {2025}

भारत में चंदन का महत्व धार्मिक, औषधीय और आर्थिक दृष्टिकोण से बहुत अधिक है। यह बहुमूल्य वृक्ष न केवल अपनी खुशबू और लकड़ी के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी खेती से किसान अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं। इस लेख में, हम चंदन की खेती के सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।


1. चंदन का परिचय

चंदन (Santalum album) एक सुगंधित वृक्ष है जिसकी लकड़ी और तेल का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है। इसे “सुगंध का राजा” भी कहा जाता है। भारतीय चंदन अपनी उच्च गुणवत्ता और सुगंध के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यह औषधीय गुणों के कारण भी महत्वपूर्ण है। चंदन की लकड़ी और तेल का उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों, सौंदर्य प्रसाधनों, और आयुर्वेदिक उपचारों में होता है।


2. चंदन की खेती का महत्व

  • आर्थिक लाभ: चंदन की लकड़ी और तेल की बाजार में उच्च मांग है। एक परिपक्व चंदन वृक्ष से लाखों रुपये की आय हो सकती है। इसके अलावा, चंदन उत्पादों का निर्यात भी बहुत लाभदायक है।
  • पर्यावरणीय लाभ: यह वृक्ष पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में सहायक है और जैव विविधता को बढ़ावा देता है। यह मृदा कटाव को रोकने में भी मदद करता है।
  • औषधीय उपयोग: चंदन का उपयोग त्वचा रोगों, सुगंधित उत्पादों और औषधियों में किया जाता है। चंदन का तेल एक उत्तम एंटीसेप्टिक के रूप में भी जाना जाता है।

3. जलवायु और मिट्टी की आवश्यकताएँ

  • जलवायु: चंदन की खेती के लिए 12°C से 35°C तापमान वाली उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु उपयुक्त है। यह सूखा सहन करने वाला वृक्ष है और कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी इसकी खेती की जा सकती है।
  • मिट्टी: लाल बलुई मिट्टी, दोमट मिट्टी, और चट्टानी मिट्टी चंदन के लिए आदर्श मानी जाती है। मिट्टी का पीएच स्तर 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। मिट्टी में अच्छी जैविक सामग्री और जल निकासी होना आवश्यक है।
  • जल निकासी: खेत में पानी का ठहराव नहीं होना चाहिए। चंदन के पौधों को स्थिर पानी से बचाने के लिए खेत में समुचित जल निकासी प्रणाली होनी चाहिए।

4. चंदन की किस्में

  1. भारतीय चंदन (Santalum album): उच्च गुणवत्ता वाला सुगंधित चंदन। यह अपनी प्रीमियम लकड़ी और तेल के लिए जाना जाता है।
  2. ऑस्ट्रेलियाई चंदन (Santalum spicatum): औद्योगिक उपयोग के लिए लोकप्रिय। यह जल्दी परिपक्व होने वाली किस्म है।
  3. इंडोनेशियाई चंदन (Santalum austrocaledonicum): इसकी खुशबू विशेष रूप से इत्र उद्योग में प्रसिद्ध है।

5. चंदन की खेती का तरीका

क. खेत की तैयारी
  1. खेत को गहरी जुताई करके तैयार करें।
  2. खेत को समतल करें और जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
  3. उर्वरक डालकर मिट्टी की उर्वरता बढ़ाएं। जैविक खाद जैसे गोबर की खाद का उपयोग करें।
  4. चंदन के साथ सहजीवी पौधों की योजना बनाएं।
ख. पौधरोपण
  1. बीज चयन: उच्च गुणवत्ता वाले प्रमाणित बीजों का चयन करें।
  2. पौधशाला: बीजों को पहले नर्सरी में उगाएं। जब पौधे 6-12 महीने के हो जाएं, तो उन्हें खेत में लगाएं। नर्सरी में पौधों को रोगमुक्त रखने के लिए नियमित देखभाल करें।
  3. पौधे लगाने की दूरी: 10×10 फीट की दूरी पर पौधे लगाएं। यह दूरी पौधों के विकास और सूर्य के प्रकाश के उचित वितरण के लिए उपयुक्त है।
  4. सह-पौधों की आवश्यकता: चंदन पौधे को अन्य पौधों के साथ सहजीवी संबंध चाहिए। अरहर, मूंग, या अन्य दलहनी फसलें इसके साथ लगाई जा सकती हैं। सहजीवी पौधे मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाने में मदद करते हैं।
ग. सिंचाई
  • पहले 2-3 वर्षों तक नियमित सिंचाई करें। हर सप्ताह सिंचाई करना आवश्यक है।
  • वृक्ष के परिपक्व होने के बाद सिंचाई की आवश्यकता कम हो जाती है।
  • सिंचाई में जल संरक्षण तकनीकों का उपयोग करें, जैसे ड्रिप सिंचाई।
घ. खाद और उर्वरक
  • जैविक खाद का उपयोग करें।
  • आवश्यकतानुसार नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश दें।
  • हर साल मिट्टी की जांच करवा कर उर्वरकों की मात्रा निर्धारित करें।

6. रोग और कीट नियंत्रण

  1. सफेद ग्रब: यह जड़ें खराब कर सकता है। इसे नियंत्रित करने के लिए क्लोरोपायरीफॉस का उपयोग करें। समय-समय पर जड़ों का निरीक्षण करें।
  2. तना छेदक कीट: यह तने को नुकसान पहुंचाता है। समय-समय पर पेड़ों की निगरानी करें। प्रभावित तनों को काटकर अलग करें।
  3. पत्ती धब्बा रोग: इस रोग के लिए कापर सल्फेट का छिड़काव करें। यह रोग पौधों के पत्तों को कमजोर बनाता है।
  4. फफूंद संक्रमण: ट्राइकोडर्मा जैसे जैविक उपचार का उपयोग करें।

7. फसल कटाई और आय

  • चंदन के पेड़ को परिपक्व होने में 12-15 साल लगते हैं। कुछ तेजी से बढ़ने वाली किस्में 10 वर्षों में परिपक्व हो सकती हैं।
  • कटाई के समय पेड़ के तने और जड़ों का उपयोग किया जाता है।
  • एक परिपक्व चंदन वृक्ष से लगभग 15-20 किलोग्राम लकड़ी प्राप्त होती है।
  • चंदन की लकड़ी की कीमत बाजार में 3,000 से 8,000 रुपये प्रति किलोग्राम हो सकती है। उच्च गुणवत्ता वाले चंदन तेल की कीमत इससे भी अधिक होती है।
  • बाजार में कटाई के बाद लकड़ी को सही तरीके से स्टोर करना आवश्यक है।

8. सरकार की योजनाएँ और सब्सिडी

  • कई राज्य सरकारें चंदन की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी देती हैं।
  • NABARD जैसे संस्थान कृषि ऋण प्रदान करते हैं।
  • वन विभाग से अनुमति लेकर चंदन की खेती की जा सकती है।
  • किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशालाएँ आयोजित की जाती हैं।
  • सरकार द्वारा चंदन की खेती में नवाचार और अनुसंधान को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

9. चंदन की खेती के फायदे

  1. लंबी अवधि में उच्च लाभ: एक बार निवेश करने के बाद किसान को लम्बे समय तक लाभ मिलता है।
  2. सस्टेनेबल एग्रीकल्चर: चंदन की खेती पर्यावरण के लिए अनुकूल है। यह कार्बन डाइऑक्साइड के अवशोषण में मदद करती है।
  3. बहुउद्देश्यीय उपयोग: लकड़ी, तेल और अन्य उत्पादों के लिए उपयोगी। चंदन का उपयोग इत्र, सौंदर्य प्रसाधन, और औषधीय उत्पादों में होता है।
  4. मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार: चंदन सहजीवी पौधों के साथ मिलकर मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है।

10. सावधानियाँ

  1. वन विभाग की अनुमति लेकर ही चंदन की खेती करें।
  2. पेड़ों की सुरक्षा के लिए उचित निगरानी रखें। यह वृक्ष चोरी का शिकार हो सकता है।
  3. बाजार मूल्य और मांग पर नज़र रखें। उत्पाद बेचने से पहले उचित ग्राहक की तलाश करें।
  4. तकनीकी विशेषज्ञों से सलाह लेते रहें।

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