लहसुन में बीमारियों की रोकथाम,2025
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Toggleलहसुन एक महत्वपूर्ण फसल है जो हमारे भोजन और स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है। इसकी खेती में रोगों और कीटों का सही प्रबंधन एक चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है। सही तकनीकों और उपायों के साथ लहसुन में बीमारियों की रोकथाम करना न केवल संभव है, बल्कि इससे पैदावार की गुणवत्ता और मात्रा भी बढ़ाई जा सकती है।
1. लहसुन में बीमारियों की रोकथाम के लिए कौन सी दवाई का छिड़काव करें?
लहसुन में बीमारियों की रोकथाम के लिए सही दवाओं का उपयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- फफूंद रोधक दवाएं:
- कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (3 ग्राम प्रति लीटर) का छिड़काव करें।
- मैनकोज़ेब और कार्बेंडाजिम का मिश्रण पौधों को फफूंद रोगों से बचाने में मदद करता है।
- कीटनाशक दवाएं:
- इमिडाक्लोप्रिड (0.5 मिली/लीटर) और एसेटामिप्रिड (0.2 ग्राम/लीटर) का छिड़काव थ्रिप्स और एफिड्स जैसे कीटों के लिए प्रभावी है।
- जैविक उपाय:
- नीम का तेल (2%) और ट्राइकोडर्मा जैसे जैविक उत्पादों का उपयोग लहसुन में बीमारियों की रोकथाम में मदद करता है।
- जीवाणुरोधक उपाय:
- स्ट्रेप्टोसाइक्लिन (1 ग्राम/10 लीटर) का छिड़काव करें।
2. लहसुन में कौन-कौन से रोग लगते हैं?
लहसुन में कई रोग लग सकते हैं। ये रोग लहसुन की गुणवत्ता और उत्पादन को कम कर सकते हैं। लहसुन में बीमारियों की रोकथाम के लिए इन्हें पहचानना और समय पर प्रबंधन करना जरूरी है।
- परपल ब्लॉच:
- लक्षण: पत्तियों पर बैंगनी धब्बे।
- उपाय: मैनकोज़ेब या क्लोरोथालोनिल का छिड़काव करें।
- डाउन माइल्ड्यू:
- लक्षण: पत्तियों पर पीले धब्बे जो बाद में भूरे हो जाते हैं।
- उपाय: मेथैलेक्सिल युक्त फफूंदनाशकों का छिड़काव करें।
- सफेद सड़न रोग:
- लक्षण: जड़ों और कंदों का सड़ना।
- उपाय: ट्राइकोडर्मा और कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का उपयोग करें।
- नेमाटोड हमला:
- लक्षण: जड़ों पर गांठें और पौधे की कमजोर वृद्धि।
- उपाय: कार्बोफ्यूरान और नीम खली का उपयोग।
लहसुन में बीमारियों की रोकथाम के लिए फसल की नियमित निगरानी और सही समय पर उपाय करना जरूरी है।
3. लहसुन में पोटाश कब देना चाहिए?
पोटाश की सही मात्रा और समय पर आपूर्ति लहसुन में बीमारियों की रोकथाम और कंदों के विकास के लिए आवश्यक है।
- पहला चरण:
- पौधों की रोपाई के 30-40 दिन बाद 50 किग्रा/हेक्टेयर म्यूरिएट ऑफ पोटाश (MOP) डालें।
- दूसरा चरण:
- फूल आने से पहले पोटाश का दूसरा डोज दें।
- सिंचाई के साथ मिलाएं:
- पोटाश का तरल रूप ड्रिप फर्टिगेशन के माध्यम से देना अधिक प्रभावी होता है।
4. लहसुन की ग्रोथ बढ़ाने के लिए क्या डालें?
लहसुन की ग्रोथ बढ़ाने के लिए सही पोषण और प्रबंधन का ध्यान रखना जरूरी है।
- नाइट्रोजन और फॉस्फोरस:
- यूरिया और डीएपी का संतुलित उपयोग करें।
- जिंक:
- जिंक सल्फेट (25 किग्रा/हेक्टेयर) का उपयोग करें।
- जैविक खाद:
- गोबर खाद और वर्मीकंपोस्ट मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं।
- माइक्रोन्यूट्रिएंट स्प्रे:
- बोरॉन और मैग्नीशियम का छिड़काव करें।
- ग्रोथ प्रमोटर:
- PGR (प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर) का उपयोग लहसुन में बीमारियों की रोकथाम के साथ ग्रोथ सुधारने में मदद करता है।
5. लहसुन में थ्रिप्स के लिए कौन सी दवाई डालें?
थ्रिप्स जैसे कीटों का सही प्रबंधन लहसुन में बीमारियों की रोकथाम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- स्पाइरोमेसिफेन:
- 1 मिली/लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें।
- फिप्रोनिल:
- 0.5 मिली/लीटर पानी में उपयोग करें।
- नीम का तेल:
- जैविक उपाय के रूप में 2% नीम का तेल उपयोग करें।
- दवाओं का रोटेशन:
- एक ही दवा बार-बार इस्तेमाल न करें। अलग-अलग कीटनाशकों का प्रयोग करें।
6. लहसुन को मोटा करने के लिए क्या करना चाहिए?
लहसुन में बीमारियों की रोकथाम के साथ कंदों की मोटाई बढ़ाने पर ध्यान दें।
- पोषक तत्वों की आपूर्ति:
- फॉस्फोरस और पोटाश का संतुलित उपयोग करें।
- सिंचाई प्रबंधन:
- फूल आने के बाद पानी की कमी न होने दें।
- अर्थिंग अप (मिट्टी चढ़ाना):
- रोपाई के 40-50 दिन बाद मिट्टी चढ़ाने से कंदों का विकास तेज होता है।
- ग्रोथ प्रमोटर:
- साइटोकाइनिन और जिबरेलिन आधारित उत्पादों का उपयोग करें।
निष्कर्ष
लहसुन में बीमारियों की रोकथाम के लिए सही दवाएं और पोषण महत्वपूर्ण हैं। समय पर उपाय से रोग रोके जा सकते हैं। इससे पैदावार की गुणवत्ता और मात्रा भी बढ़ती है।
खेती के लिए रोग प्रबंधन और पोषण संतुलन जरूरी है। लहसुन में बीमारियों की रोकथाम की यह गाइड आपको मदद करेगी। यह आपको बेहतर उत्पादन और आय दिलाएगी।