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मैंगोस्टीन की खेती: एक लाभकारी व्यवसाय [2025]

मैंगोस्टीन की खेती: एक लाभकारी व्यवसाय [2025]

मैंगोस्टीन (Mangosteen) को “फलों की रानी” कहा जाता है। यह एक ट्रॉपिकल फल है जो अपनी मिठास, अनोखे स्वाद और औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है। मैंगोस्टीन की खेती भारत में धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही है, खासकर दक्षिणी राज्यों में। अगर आप भी इस फल की खेती करने की योजना बना रहे हैं, तो यह गाइड आपको संपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा।

मैंगोस्टीन की विशेषताएँ

मैंगोस्टीन की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

मैंगोस्टीन एक ट्रॉपिकल फल है और इसे गर्म और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। यह 20-30 डिग्री सेल्सियस तापमान में सबसे अच्छी तरह बढ़ता है। यह अधिक ठंड या सूखे को सहन नहीं कर सकता, इसलिए इसे उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जाता है।

मिट्टी की आवश्यकताएँ

मैंगोस्टीन की खेती के लिए उपजाऊ और गहरी मिट्टी की आवश्यकता होती है। यह अम्लीय से हल्की क्षारीय मिट्टी (pH 5.0-6.5) में अच्छी तरह बढ़ता है।

खेत की तैयारी

  1. भूमि की सफाई: सबसे पहले खेत से सभी झाड़ियाँ और खरपतवार हटा दें।
  2. मिट्टी की जुताई: खेत को गहरी जुताई करें ताकि मिट्टी नरम और भुरभुरी हो जाए।
  3. गड्ढों की तैयारी: पौधे लगाने के लिए 60x60x60 सेमी के गड्ढे तैयार करें। गड्ढों में 10-15 किलो सड़ी हुई गोबर खाद डालें।

पौधों की रोपाई

मैंगोस्टीन की खेती बीजों और ग्राफ्टिंग के माध्यम से की जाती है। हालांकि, ग्राफ्टिंग विधि से पौधे जल्दी फल देना शुरू करते हैं।

  1. रोपण का समय: मानसून के मौसम में जुलाई-अगस्त में पौधों की रोपाई करें।
  2. पौधों के बीच की दूरी: 7-8 मीटर की दूरी रखें।
  3. रोपण विधि: पौधों को सावधानीपूर्वक गड्ढों में लगाएं और मिट्टी को हल्के से दबाएं।

सिंचाई की व्यवस्था

मैंगोस्टीन की खेती में नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है, खासकर गर्मियों में।

खाद और उर्वरक

मैंगोस्टीन के पौधों को पर्याप्त पोषण देने के लिए जैविक और रासायनिक उर्वरकों का संतुलित उपयोग करें।

रोग और कीट नियंत्रण

मैंगोस्टीन के पौधों पर आमतौर पर निम्नलिखित रोग और कीट लग सकते हैं:

  1. रोग:
    • जड़ सड़न (Root Rot): यह अधिक नमी के कारण होता है।
      • उपाय: फफूंदनाशक का छिड़काव करें।
    • पत्तियों का झड़ना (Leaf Drop): यह पोषण की कमी के कारण होता है।
      • उपाय: पौधों को समय पर खाद दें।
  2. कीट:
    • एफिड्स (Aphids): ये कीट पत्तियों का रस चूसते हैं।
      • उपाय: नीम के तेल का छिड़काव करें।
    • स्केल इंसेक्ट्स: ये पौधों की वृद्धि को रोकते हैं।
      • उपाय: साबुन के घोल का छिड़काव करें।

फलों की तुड़ाई

मैंगोस्टीन के पौधे रोपाई के 7-10 वर्षों बाद फल देना शुरू करते हैं। फल पकने पर गहरे बैंगनी रंग के हो जाते हैं।

भंडारण और विपणन

मैंगोस्टीन के फलों को ताजा, जूस, या प्रसंस्कृत उत्पादों के रूप में बेचा जा सकता है।

मैंगोस्टीन की खेती के फायदे

  1. उच्च मांग: मैंगोस्टीन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, जिससे इसकी बाजार में उच्च मांग है।
  2. लाभकारी व्यवसाय: उचित प्रबंधन के साथ, यह किसानों के लिए एक लाभकारी व्यवसाय बन सकता है।
  3. जैविक खेती का विकल्प: मैंगोस्टीन की खेती में कम रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता होती है, जिससे यह जैविक खेती के लिए उपयुक्त है।

निष्कर्ष

मैंगोस्टीन की खेती एक दीर्घकालिक निवेश है, लेकिन इसके लाभ भी उतने ही लंबे समय तक प्राप्त होते हैं। सही तकनीकों और प्रबंधन के साथ, आप इस खेती को सफलतापूर्वक कर सकते हैं और अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। अगर आप उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में रहते हैं, तो मैंगोस्टीन की खेती आपके लिए एक उत्कृष्ट विकल्प हो सकता है।

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