मसूर और तुअर दाल के भाव में तेजी: आयात में कमी और मांग में उछाल
देश में दालों की कीमतों में तेजी का रुख देखने को मिल रहा है, खासकर मसूर और तुअर दाल में। आयात में कमी और मांग बढ़ने के कारण इनकी कीमतों में उछाल दर्ज किया गया है। आइए जानते हैं इस बढ़ती कीमत के पीछे के मुख्य कारण और बाजार की मौजूदा स्थिति।
मसूर के भाव में तेजी के कारण
मसूर के आयात में कमी और घरेलू बाजार में मांग बढ़ने से इसके दामों में उछाल देखा जा रहा है। इंदौर मंडी में मसूर के भाव 100 रुपये बढ़कर 6100-6200 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। व्यापारी बताते हैं कि बीते दिनों खरीदारों की सक्रियता बढ़ी है, जिससे दामों में मजबूती देखने को मिल रही है।
इसके अलावा, भारत में आयातित मसूर की उपलब्धता कम होने और देशी माल की सीमित आपूर्ति के कारण कीमतों को समर्थन मिल रहा है।
मसूर का आयात घटने का असर
पिछले वित्त वर्ष में मसूर का आयात रिकॉर्ड स्तर पर था, लेकिन इस साल इसमें भारी गिरावट देखी गई है। भारत में मसूर का उत्पादन 16-18 लाख टन होने की उम्मीद है। वहीं, 31 मार्च 2025 तक आयात पर कोई शुल्क न लगने की नीति जारी रहेगी, लेकिन इसके बावजूद भी आयात में वृद्धि की संभावना कम नजर आ रही है।
तुअर दाल में भी तेजी का रुख
मसूर के साथ-साथ तुअर दाल के भाव में भी मजबूती देखी जा रही है। महाराष्ट्र सफेद तुअर 7300-7350 रुपये, महाराष्ट्र लाल तुअर 7200-7500 रुपये और कर्नाटक की तुअर 7300-7500 रुपये प्रति क्विंटल पर बनी हुई है।
मंगलवार को तुअर दाल में 200 रुपये तक की तेजी दर्ज की गई, हालांकि बाजार में ऊंचे दामों पर व्यापार सीमित देखने को मिला।
आगे की संभावनाएं
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, यदि आयात में वृद्धि नहीं होती और मांग बनी रहती है, तो मसूर और तुअर के भाव में और तेजी आ सकती है। नई फसल आने पर दामों में कुछ नरमी आ सकती है, लेकिन फिलहाल बाजार में मजबूती बनी रहने की उम्मीद है।
निष्कर्ष
मसूर और तुअर दाल की कीमतों में तेजी का मुख्य कारण आयात में कमी और मांग का बढ़ना है। आने वाले दिनों में नई फसल की आमद और सरकारी नीतियों पर भी दाम निर्भर करेंगे। व्यापारियों और किसानों के लिए यह समय सतर्कता से निर्णय लेने का है, ताकि बाजार के उतार-चढ़ाव का सही लाभ उठाया जा सके।