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किसानों को नैनो उर्वरक के उपयोग से होने वाले लाभ की जानकारी दी गई

किसानों को नैनो उर्वरक के उपयोग से होने वाले लाभ की जानकारी दी गई

कलेक्टर श्री हिमांशु चंद्रा ने शुक्रवार को जावी की कृषि सहकारी साख समिति एवं राशन दुकान का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने किसानों को परंपरागत उर्वरकों, जैसे यूरिया और डीएपी के बजाय नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि नैनो उर्वरकों के उपयोग से किसानों को अधिक उत्पादन के साथ-साथ मृदा की गुणवत्ता बनाए रखने में भी सहायता मिलेगी। उन्होंने सोसायटी प्रबंधक से कृषक संगोष्ठी के आयोजन, किसानों की भागीदारी, उर्वरक की उपलब्धता, वितरण व्यवस्था और नैनो यूरिया एवं डीएपी के वितरण की जानकारी ली।

 

निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने शासकीय उचित मूल्य की दुकान का भी दौरा किया। उन्होंने वहां उपलब्ध स्टॉक, गेहूं, चावल, नमक आदि की गुणवत्ता की जांच की और उपभोक्ताओं से राशन वितरण प्रक्रिया के बारे में फीडबैक लिया। उन्होंने निर्देश दिए कि अपात्र उपभोक्ताओं के नाम सूची से हटाए जाएं और राशन वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।

 

इसके अतिरिक्त, कलेक्टर ने बकाया ऋण वसूली की प्रगति की समीक्षा की और प्रबंधक से जानकारी प्राप्त की कि अब तक मृतक 11 उपभोक्ताओं के नाम सूची से हटाए जा चुके हैं। उन्होंने सहकारी संस्थाओं को निर्देशित किया कि वे किसानों को अधिक से अधिक नैनो उर्वरकों के उपयोग के प्रति जागरूक करें और उनके लाभ के बारे में विस्तृत जानकारी दें।

 

इस अवसर पर एसडीएम श्री संजीव साहू, सहायक आयुक्त सहकारिता श्री राजू डाबर, जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक श्री आर. पी. नागदा सहित अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे। निरीक्षण के दौरान किसानों से उनकी समस्याओं और सुझावों पर भी चर्चा की गई, जिससे आगे की नीतियों को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके।

 

कलेक्टर श्री हिमांशु चंद्रा ने कहा कि नैनो उर्वरक, पारंपरिक उर्वरकों की तुलना में अधिक प्रभावी हैं और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखते हुए लागत को भी कम करते हैं। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाएं और अधिक उत्पादन प्राप्त करें। उन्होंने सहकारी समितियों और कृषि विभाग को निर्देश दिया कि वे नियमित रूप से किसानों को जागरूक करने के लिए संगोष्ठियों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करें, जिससे वे नई तकनीकों से परिचित हो सकें और कृषि में प्रगति कर सकें।

 

नैनो उर्वरक अपनाने से किसानों को होंगे ये लाभ

 

1. उच्च उत्पादकता – नैनो यूरिया और डीएपी के उपयोग से फसलों की उत्पादकता बढ़ती है।

2. कम लागत – पारंपरिक उर्वरकों की तुलना में नैनो उर्वरक कम मात्रा में अधिक प्रभावी होते हैं, जिससे किसानों की लागत घटती है।

3. मृदा की गुणवत्ता बनाए रखना – नैनो उर्वरकों के उपयोग से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और पर्यावरण को भी कम नुकसान होता है।

4. जल संरक्षण – नैनो उर्वरक मिट्टी में अधिक समय तक सक्रिय रहते हैं, जिससे सिंचाई की आवश्यकता कम होती है।

5. सस्टेनेबल फार्मिंग – टिकाऊ खेती के लिए नैनो उर्वरकों का उपयोग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इस प्रकार, किसानों को पारंपरिक यूरिया और डीएपी की जगह नैनो यूरिया और डीएपी अपनाने से कई लाभ हो सकते हैं। प्रशासनिक अधिकारियों ने इस दिशा में लगातार प्रयास करने और किसानों को जागरूक करने की बात कही।

 

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