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गेहूं की खेती: दूसरी और तीसरी सिंचाई के बाद डालें ये चीजें, अनाज से भर जाएंगी बालियां

गेहूं की खेती में सिंचाई और उर्वरकों का महत्व

भारत में गेहूं की खेती मुख्य फसल के रूप में होती है। सही समय पर सिंचाई और उर्वरकों का इस्तेमाल फसल की गुणवत्ता और उत्पादन को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, दूसरी और तीसरी सिंचाई के दौरान कुछ महत्वपूर्ण पोषक तत्वों का उपयोग करने से बालियां अनाज से भर जाती हैं और उत्पादन में वृद्धि होती है।

दूसरी और तीसरी सिंचाई के बाद उपयोग करने वाली चीजें

1. नैनो यूरिया का छिड़काव करेंनै

नो यूरिया गेहूं की फसल के लिए बहुत प्रभावी है। यह पौधों को नाइट्रोजन की उचित मात्रा प्रदान करता है और उनकी वृद्धि को तेज करता है। दूसरी सिंचाई के बाद 2-3 मिली नैनो यूरिया को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

2. जिंक और सल्फर का उपयोग

जिंक और सल्फर बालियों में अनाज भरने में मदद करते हैं। सल्फर पौधों में प्रोटीन संश्लेषण को बढ़ाता है, जबकि जिंक एंजाइम गतिविधि को प्रोत्साहित करता है। तीसरी सिंचाई के बाद 20-25 किग्रा जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर डालें।

3. पोटाश का सही मात्रा में प्रयोग

पोटाश पौधों की जड़ों को मजबूत बनाता है और अनाज की गुणवत्ता में सुधार करता है। इसे सिंचाई के साथ मिलाकर खेत में छिड़कें।

4. माइक्रो न्यूट्रिएंट्स का छिड़काव

फसल को जरूरी सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से बचाने के लिए दूसरी और तीसरी सिंचाई के बाद माइक्रो न्यूट्रिएंट्स का छिड़काव करना फायदेमंद होता है।

कृषि वैज्ञानिकों की सलाह

फसल में अनाज भरने के फायदे

NOTE—

दूसरी और तीसरी सिंचाई के दौरान नैनो यूरिया, जिंक, सल्फर और अन्य पोषक तत्वों का सही उपयोग करने से गेहूं की बालियां अनाज से भर जाती हैं। कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार फसल प्रबंधन करने से अधिक पैदावार प्राप्त होती है और किसानों की आय में वृद्धि होती है।

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